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श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे ।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः

देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः

यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।

जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व मे।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

मां दुर्गा की पूजा-पाठ में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें. सुबह-शाम जब भी आप ये पाठ करें तो स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और फिर इसे शुरू करें.

Something that ought to be pointed out is that such a way demands tough Sadhna and Sacrifice from someone. Simultaneously, more info the negative effect from the slightest error is The main reason that Tantrik methods of reaching God are frequently claimed to get averted. 

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